मानव जीवन के लिए परिवार क्यों ज़रूरी है ?
कभी कभार ये विचार आता है कि क्या परिवार मानव जीवन के लिए अनिवार्य है ? (Is family essential for human life?)या ये सवाल ऐसे भी पूछ सकते हैं कि मानव जीवन के लिए परिवार क्यों ज़रूरी है? Why is family important for human life? मॉडर्न लाइफ में बच्चे आजकल हर चीज़ पर सवाल करते हैं तो उनके मन में ये सवाल भी आता होगा।
जहाँ जीव है, वहाँ सामूहिक जीवन आवश्यक होता है। हम पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, कृमि-कीटों में समूह जीवन, परस्परावलंबन देखते हैं। आहार, आपसी सुरक्षा, पोषण, वंश निरंतरता के लिए परस्पर पूरक रूप में जीने वाली एक संकुलीय वृत्ति भी देखते हैं। जैसे-जैसे यह विकसित होते जाता है, कुटुंब की आवश्यकता अनुभव में आने लगती है।
मनुष्य के लिए तो आहार, निद्रा, भय आदि को पार करते हुए, उत्तम संस्कारों की जरूरत होती है। स्वयं जीकर, शेष अन्यों को जिलाने, दूसरे के लिए परिश्रम, त्याग करने की दृष्टि एवं शक्ति भी आवश्यक लगने लगती है। एकांकी रहने वाले को यह अवसर नहीं मिल पाता। अतः किसी भी व्यक्ति को उत्तमता के साथ साकार करने वाले कुटुंब को आद्यता मिल जाती है।
कुटुंब चार दीवारें मात्र नहीं, वहाँ स्वतः का उत्थान चाहने वाले, गलतियाँ सुधारने वाले, संतुष्टि में सहभागी होने वाले, दुःख में सांत्वना देने वाले, जीने की प्रेरणा प्रदान करने वाले, उपलब्धियों के लिए बल प्रदान करने वाले, सब रहते हैं। प्राणियों के लिए केवल खाना, भय व संतान की चिंता होने के कारण, वे इकट्ठा जीते हैं। किन्तु मनुष्य केवल इतने भर के लिए नहीं जीता।
अतः धर्म की प्रतिष्ठापनार्थ, कर्तव्य के परिपालनार्थ, संस्कृति के उत्थानार्थ संस्कार प्रदान करने वाले अत्युत्तम केंद्र के रूप में घर होने के कारण, कुटुंब अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसीलिए आप्त-बांधव प्रमुख होते हैं। मैं, मेरा की सीमाएँ लाँघ कर, हम हमारा नामक वरिष्ठता अंकुरित होती है। अधिकारों के बारे में चलने वाला चिंतन न रुकते हुए, कर्तव्य भी अनुभव में आने लगते हैं। अतः कुटुंब से ही व्यक्ति अपने संबंध में आने वाले सबको अपना मानने वाला समष्टि-जीवी बन जाता है।
आओ मकान को घर बनायें पत्रिका से साभार
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