नमस्कार मित्रो, क्या आप जानते हैं सदियों से पढ़ी जाने वाली श्री हनुमान चालीसा किसने, कैसे और क्यों लिखी थी ?
Who is the Author of Hanuman Chalisa, know the full story of hanuman chalisa and how Tulsidas was written.
हनुमान चालीसा अवधि भाषा में लिखी गई थी, किसने लिखी वो तो हम सभी जानते ही हैं की प्रभु श्री राम और हनुमान जी के परम भक्त गोस्वामी तुलसीदास ने श्री हनुमान चालीसा को लिखा था, लेकिन असली सवाल ये है कि हनुमान चालीसा का लेखन कहाँ और क्यों किया गया था।ये बहुत ही रोचक है।
नमस्कार दोस्तों, सुधबुध में आपका स्वागत है। हिन्दू धर्म में सबसे ज़्यादा श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है क्यूंकि इसके पाठ से सभी के दुःख और कष्ट मिट जाते हैं और साथ साथ श्री हनुमान जी का आशीर्वाद भी मिलता है।लेकिन, बहुत कम लोग हनुमान चालीसा लिखे जाने की कहानी जानते होंगे.
हनुमान चालीसा की रचना किसी मंदिर या आश्रम में नहीं हुई थी बल्कि ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा की रचना जेल में हुई थी। इसके पीछे एक बहुत ही रोचक कथा है जो बहुत प्रचलित है। आइये जानते हैं उस कथा को
स्वामी तुलसीदास भगवान राम और श्री हनुमान के प्रबल भक्त थे, और इनके दर्शन पाने के लिए उत्सुक रहते थे। वे प्रतिदिन शाम को गंगा घाट के पास राम नाम का जाप और रामचरितमानस का पाठ किया करते थे।
सच्ची भक्ति के कारण उनकी ख्याति बहुत फ़ैल रही थी। सभी तुलसीदास को प्रणाम करते और राम राम करते, लगभग कसबे का हर व्यक्ति राम राम करने लगा। उनकी ख्याति इतनी बढ़ गई कि लोग अब उनका इंतज़ार करने लगे, ऐसा प्रतीत होने लगा जैसे कोई दरबार लगा हो। जो व्यक्ति तुलसीदास से राम कथा सुन लेता वो धन्य हो जाता, और उनके मानसिक और शारीरिक कष्ट खत्म होने लगे। इस वजह से लोग उनको जादूगर कहने लगे।
बात फैलती फैलती सम्राट अकबर के दरबार में आ पहुंची, अब क्या था अकबर ने संत तुलसीदास को बुलावा भेजा और पेश होने के लिए कहा। लेकिन तुलसीदास राम और हनुमान भक्त, वो भला एक बुलावे पे कैसे आते।
लेकिन खैर उनका अकबर के दरबार में जाना हो ही गया, अकबर ने तुलसीदास से कुछ चमत्कार दिखने के लिए कहा, लेकिन तुलसीदास ने साफ़ मना कर दिया और कहा कि भक्ति कोई दिखावे की वस्तु नहीं है। अकबर ने फिर तुलसीदास से अपनी प्रशंसा में ग्रन्थ लिखने को कहा लेकिन तुलसीदास ने कहा में श्री राम और हनुमान जी के इलावा किसी की स्तुति नहीं गा सकता।
अकबर उनकी इस बात से बहुत खफा हुआ और गुस्से में तुलसीदास को बंदी बनाने का आदेश दे दिया। बंदी बनाने के बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया, तुलसीदास जी ने जेल में श्री हनुमान चालीसा की रचना की।
कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने १०० बार हनुमना चालीसा का पाठ किया, जिससे हनुमान जी के आदेश से अकबर के महल और आसपास सभी जगह बंदरों ने हमला कर दिया और सब कुछ तहस नहस कर दिया, अकबर को शाही ज्योत्षी और धर्म गुरुओं के समझने के बाद राम भक्त तुलसीदास को रिहा कर दिया।
इसके बाद तुलसीदास महाराज ने श्री हनुमान चालीसा पूरी की और उसमे दोहा जोड़ा “जो शत बार पाठ कर जोइ , छूटहिं बंदी महा सुख होइ”. इसका अर्थ है जो १०० बार हनुमान चालीसा का पाठ करेगा वो हर तरह के बंधन से मुक्त हो जाएगा।
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बता दें कि प्रचलित कहानियों में ये सब तथ्य बताए गए हैं.