राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संगठन मंत्र | RSS Sangathan Mantra
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बैठक के पूर्व बोले जाने वाला संगठन मंत्र : आरएसएस एक स्वयंसेवकों का विश्वव्यापी संगठन है इसकी शाखाएं न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी हैं. 5 करोड़ से ज़्यादा लोग आरएसएस से सीधे या किसी न किसी रूप से जुड़े हुए हैं। इसकी ख़ास बात ये है की आरएसएस न आज भी अपनी भारतीय संस्कृति और वैभव को संजोए रखा है. किसी भी कार्यकर्म बैठक या वर्ग की शुरुआत मंत्रोच्चारण से होती है। आज हम आरएसएस के संगठन मन्त्र के बारे में जानेंगे.
आरएसएस संगठन मन्त्र संघ की बैठक से पहले बोले या गाए जाना वाला मंत्र है इसके उच्चारण व् स्वर से एक शक्ति का परवाह होता है. आज इस पोस्ट में आप संगठन मंत्र के अर्थ भी जानेंगे.
Sangathan Mantra (संगठन मंत्र)
RSS Sanghathan Mantra English Lyrics
saṃ vo manāṃsi jānatām
devā bhāgaṃ yathā pūrve
samāno mantraḥ samitih samānī
samānaṃ mantramabhimantraye vaḥ
samanī va ākūtiḥ samānā hrdayāni vaḥ |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संगठन मंत्र अर्थ | RSS Sangathan Mantra Meaning
ॐसंगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्
देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते ||
अर्थ – कदम से कदम मिलाकर चलो , स्वर में स्वर मिला कर बोलो , तुम्हारे मनों मे समाज बोध हो। पूर्व कालमें जैसे देबों ने अपना भाग प्राप्त किया , सम्मिलित बुद्धि से कार्य करने वाले उसी प्रकार अपना – अपना अभीष्ट प्राप्त करते हैं।
समानो मन्त्र: समिति: समानी समानं मन: सहचित्तमेषाम्
समानं मन्त्रमभिमन्त्रये व: समानेन वो हविषा जुहोमि ||
अर्थ – मिलकर कार्य करने वालों का मंत्र समान होता है , अर्थात वह परस्पर मंत्रणा करके एक निर्णय पर पहुंचते हैं। चित सहित उनका मन समान होता है। मैं तुम्हें मिलकर संभाल निष्कर्ष पर पहुंचने की प्रेरणा (या परामर्श) देता हूं तुम्हें समान भोज्य प्रदान करता हूं।
समानी व आकूति: समाना हृदयानि व:| समानमस्तु वो मनो यथा व: सुसहासति ||
अर्थ – तुम्हारी भावना या संकल्प समान हो , तुम्हारा हृदय समान हो , तुम्हारा मन समान हो , जिससे तुम लोग परस्पर सहकार कर सको।
यह संघठन मंत्र ऋग वेद से लिया गया है।