Ganga Saptami 2022 | कब पड़ेगा गंगा सप्तमी का पावन पर्व, जानें इसका धार्मिक महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि |
Ganga Saptami 2022: हिन्दू धर्म में रोज़ाना कोई न कोई त्यौहार,व्रत या विशेष होता ही है। क्यों की हिंदू धर्म नहीं जीवन जीने की शैली का नाम है। धार्मिक दृष्टि से हिंदू धर्मावलम्बियों में गंगा सप्तमी का विशेष महत्व है. इस दिन लोग गंगा में स्नान करते हैं और मां गंगा की विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाते हैं. गंगा सप्तमी का संबंध पवित्र मां गंगा से है. माता गंगा जब पृथ्वी पर आने वाली थीं, तो सबसे बड़ी चिंता की बात यह थी क्या पृथ्वी मां गंगा के वेग व भार को सहन कर पाएगी. तब ब्रह्मा जी के सुझाव पर भगीरथ ने भगवान शिव को अपने कठोर तप से प्रसन्न किया था और उन्हें इस बात के लिए मनाया था कि मां गंगा स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर आने से पहले अपनी जटाओं पर उतारें. ताकि मां गंगा का वेग व भार कम हो सके.
गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) क्यूँ मनाई जाती है ?
गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) हिंदुओं के लिए एक शुभ दिन है जिसे देवी गंगा के सम्मान में मनाया जाता है। इसे लोकप्रिय रूप से ‘गंगा जयंती’ या ‘गंगा पूजन’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि हिंदू किंवदंतियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि देवी गंगा ने इस दिन पुनर्जन्म लिया था। गंगा सप्तमी ‘वैशाख’ या ‘बैसाख’ महीने के दौरान शुक्ल पक्ष की ‘सप्तमी’ (7 वें दिन) को मनाई जाती है। गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) पर अधिकांश हिंदू तीर्थ स्थानों में जहां गंगा नदी गुजरती है, जैसे इलाहाबाद और ऋषिकेश में त्रिवेणी संगम, भक्तों द्वारा विशेष पूजा और प्रार्थना की जाती है। यह भारत के उत्तरी राज्यों में पूरे उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) के दौरान अनुष्ठान:
गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) के दिन, भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं और पवित्र गंगा में डुबकी लगाते हैं। इस दिन मां गंगा की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। वे गंगा नदी में ज्योत तैराते हैं और प्रसिद्ध ‘गंगा आरती’ करते हैं। कई घाटों पर ‘गंगा आरती’ की तैयारी की जाती है और इस आयोजन में देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) के दिन दीपदान करने वाली ‘दीपदान’ की रस्म बहुत ही भाग्यशाली होती है। हिंदू धर्म में गंगा को ‘माँ गंगा’ या देवी माना जाता है; इसलिए भक्त खुशी, प्रसिद्धि और मोक्ष के लिए पूर्ण समर्पण और भक्ति के साथ उनकी पूजा करते हैं। गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी के किनारे विशाल मेलों का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन ‘गंगा सहस्रनाम स्तोत्रम’ और ‘गायत्री मंत्र’ का जाप करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
जानें गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त व महत्व
गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) की कथा और महत्व को ‘पद्म पुराण’, ‘ब्रह्म पुराण’ और ‘नारद पुराण’ जैसे धार्मिक ग्रंथों और कुछ नामों में समझाया गया है। हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी गंगा पहली बार ‘गंगा दशहरा’ के दिन पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। हालाँकि एक बार ऋषि जाह्नु ने गंगा का पानी पी लिया और देवताओं और राजा भगीरथ से विनती करने के बाद ही उन्होंने वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी को एक बार फिर गंगा को छोड़ दिया। तब से यह दिन देवी गंगा के पुनर्जन्म का प्रतीक है और इसे ‘जहनु सप्तमी’ भी कहा जाता है। ऋषि जाह्नु की पुत्री होने के कारण देवी गंगा को जाह्नवी भी कहा जाता है।
गंगा नदी को भारत में बहुत पवित्र माना जाता है। गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) का उत्सव उन स्थानों पर प्रसिद्ध है जहाँ गंगा और उसकी सहायक नदियाँ बहती हैं। गंगा सप्तमी का दिन हिंदू भक्तों के लिए आशाजनक है जो देवी गंगा की पूजा करते हैं और पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी में पवित्र स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। कई हिंदू गंगा नदी के पास अंतिम संस्कार करने की इच्छा रखते हैं क्योंकि यह उन्हें मोक्ष के मार्ग पर ले जाएगा। इसके अलावा ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जो व्यक्ति ‘मंगल’ के प्रभाव में हैं, उन्हें गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) पर देवी गंगा की पूजा करनी चाहिए।
गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 07 मई, शनिवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन 08 मई, रविवार को शाम 05 बजे होगा। वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी की उदयातिथि 08 मई को प्राप्त हो रही है। इसलिए गंगा सप्तमी 08 मई को मनाई जाएगी।
08 मई को गंगा सप्तमी का पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 02 बजकर 38 मिनट तक है। पूजा का शुभ मुहूर्त 02 घंटे 41 मिनट तक रहेगा।
गंगा सप्तमी पूजा- विधि
गंगा सप्तमी के पावन दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए, लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से घर में रहकर ही नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान करें।
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलि करें।
- सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
- मां गंगा का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- मां का ध्यान करते हुए पुष्प अर्पित करें।
- इस पावन दिन घर के मंदिर में ही मां गंगा को भोग लगाएं।
घर में ही मां गंगा की आरती करें।