Bodh Katha : अक्ल की कमाई
एक राजा के दरबार में दो थे चित्रकार, राजा ने एक दिन बुला भेजा दोनों को दरबार। राजा ने दिया आदेश दोनों उनका चित्र बनाएँ, हूबहू चित्र बनाने पर मुँह माँगा इनाम पाएँ। पर दोनों चित्रकारों के सामने मुसीबत थी खड़ी, राजा की एक आँख थी बचपन से बंद पड़ी। राजा थे एक आँख से काने, पर यह बात कोई कह दे तब उसे जानें।
दोनों चित्रकार में से एक था बहुत चतुर सुजान, उसे क्या करना है उसने मन में लिया ठान। दूसरा चित्रकार था हैरान, क्या करना चाहिए इसी सोच में डूबा था वह परेशान। उसने राजा का चित्र बनाना शुरु कर दिया, दो दिन में बनाकर भी दे दिया। चित्र देखकर राजा का गुस्सा भड़का, अपने आप को काना देखकर उसका दिमाग खड़का।
राजा ने कहा उड़ाया गया है उनका उपहास, इसलिए चित्रकार को दे दिया जाए कारावास।
अब आई दूसरे चित्रकार की बारी, उसने तो कर रखी थी पूरी तैयारी। वह चित्र को रेशमी कपड़े से ढँककर दरबार में लाया, सभी दरबारियों का दिल डर के मारे थर्राया। सभी ने सोचा, अब इस चित्रकार को भी मिलेगी सजा। ज्यों ही चित्रकार ने कपड़ा हटाया, अद्भुत चित्रकारी का नमूना नजर आया।
राजा के चेहरे के साथ थी दुनाली, एक आँख थी बंद तो दूसरी थी खुली। चित्र में राजा कर रहा था शिकार, चित्रकार की चतुराई का नहीं था कोई जवाब। चित्र देखकर राजा खुशी से गद्गद् हो उठा, उसने अपने गले का कीमती हार चित्रकार के हाथ में धरा। चित्रकार की चतुराई काम आई, इसे कहते हैं अक्ल की कमाई।
33 Bodh Katha | हिंदी बोध कथा | Moral Stories in Hindi
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