आजकल बच्चों की चिंता से सम्बंधित सवाल बहुत ही कम पूछे जाते हैं। पहले अगर हम गुणो की बात करें तो गुण सिखाने से ज़्यादा पारिवारिक माहौल पर काफ़ी निर्भर करते हैं। परिवार में आपसी तालमेल कैसा है ? क्या सभी लोग एक दूसरे की इज़्ज़त करते हैं ? ज़्यादा मतभेद है या मनभेद है ?
सोने का समय और जागने का समय भी बच्चों पर काफ़ी प्रभाव डालता है। परिवार में उठने के बाद की क्या दिनचर्या है ? कहने का सीधा मतलब ये है कि बच्चे सिखाने से कम और दिखाने से ज़्यादा सीखते हैं। फिर भी कुछ गुणो की बात करें तो सबसे पहले धर्म की शिक्षा ज़रूर हो। धर्म सिर्फ़ पूजा पद्धति नहीं धर्म से मेरा अभिप्राय नैतिकता से है – समाज में रहना है तो आपके अधिकारों के साथ साथ फ़र्ज़ की भी बात हो।
बच्चों में पढ़ाई के साथ-साथ कुछ गुणों/विषयों का अभ्यास
1 – स्वयं का ज्ञान – बच्चों को ये ज़रूर बताएँ कि उनकी अपनी क़ीमत क्या है, उनको उनके स्वयं का ज्ञान हो इससे बच्चों में अच्छी बातें सीखने का विचार अपने आप आएगा। कभी ज़िंदगी में वो हार भी जातें हैं (कभी कभार पढ़ाई में नम्बर ना आ सके ) तो उस मौक़े पे वो अपनी क़ीमत को पहचानते हुए कोई ग़लत कदम नहीं उठाएँगे। उनको स्वयं का ज्ञान ज़रूर करवाएँ
2 – राजनीति का ज्ञान – राजनीति से मेरा अभिप्राय नेतागीरी से नहीं है ये वो शब्द है जिसका भाव आजकल पावर से किया जाता है इसका ज्ञान बच्चों को मुश्किल समय में सही निर्णय लेने में मदद करेगा। जैसा कि आजकल का माहौल है हर तरफ़ षड्यंत्र होतें हैं – छोटे या बढ़े , सभी को तरकी चाहिए इसके लिए राजनीति का ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है ये राजनीति उनको सही समय पर निर्णय लेना सिखाएगी ही इसके साथ साथ ग़लत या कठिन समय पर भी सही निर्णय लेना भी आ जाएगा। सामाजिक मनोदशा , किसी का मन पढ़ना अगर सही उमर में आ जाए तो व्यक्ति कभी मार नहीं खाता।
3 – धन का ज्ञान – ये ज्ञान ऐसा है कि इसकी ज़रूरत हर समय पड़ती ही है। धन भी अब दो परकार के हैं सही या ग़लत – तो सही धन जिसमें बरकत होती है उसका ज्ञान और उसको अर्जित करना आना चाहिए। किन विषयों में वो ज़्यादा धन अर्जित कर सकता है इसका मूल्यांकन करना भी आना चाहिए। धन के बिना आपकी कोई सामाजिक पहचान नहीं बन पाएगी।
4 – धेर्य – इस गुण का बहुत बड़ा महत्व है – धीरज धर्म मित्र अरु नारी, आपद काल परिखिअहिं चारी – श्री रामायण में इस चौपाई से ये सिद्ध होता है कि धैर्य का आपद काल में कितना महत्व है। अगर बच्चों में धैर्य आ जाएगा तो वो अपने आप एक समय के साथ चलना सिख जाएँगे। धैर्य से मानसिक उतावला पन खत्म होता है बुद्धि हमेशा इंसान के क़ाबू में रहती है जिससे कोई ग़लत कदम उठाया ही नहीं जाता।
5 – बोलने की शिक्षा – बोलने की विद्या राज विद्याओं में से एक है। जब बच्चा बोलने में माहिर हो जाता है मतलब अपनी बात सही शब्दों के उच्चारण और भाव के साथ रख देता है तो बाक़ी लोगों से उसकी पहचान ऊपर होने लगती है बोलने की कला आपको समाज में प्रसिद्ध करती है, वाणी का उपयोग लोगों को प्रभावित करता है ये एक आकर्षण भी है।
6 – विद्या – आजकल की विद्या का ज्ञान स्वाभाविक ही है वो तो बिलकुल ही आना ही चाहिए क्यूँकि नम्बर गेम हर तरफ़ प्रभावी है.
7 – हाथ का गुण – पुराने बजुर्गों का कहना है कि अगर आपको हाथ का कोई गुण आता है तो आप कभी मार नहीं खा सकते और ये कथन आज भी शत प्रतिशत सत्य है बच्चों में शुरू से ही हाथ का कोई गुण या कोई ऐसा काम जो उनको जीवन में कमाई का भी साधन बन सके।
8 – समय का सही उपयोग – टाइम टेबल बनाना और उसको फ़ॉलो करना बच्चों को शुरू से ही आना चाहिए वो इसको खुद बनाए इससे जीवन में उनको समय का सही उपयोग करना और TIME MANAGEMENT करना आएगा। ये छोटा सा काम जीवन की सफलता में रीड की हड्डी का काम करता है।
इसके इलावा बहुत से और विषय हैं जिसपे काम किया जा सकता है। moral वैल्यूज़, प्रैक्टिकल knowldege भी बहुत ज़रूरी विषय हैं।
विषय बहुत ही गम्भीर है परंतु कम शब्दों में मैंने इस विषय को लिखने की कोशिश कि है उम्मीद है आपको जवाब पसंद आया होगा। जय हिंद जय भारत।