Mythology of Shani Dev and Peepal Tree | शनिवार के दिन पीपल की पूजा करने से क्यों प्रसन्न होते हैं शनिदेव
पीपल की पूजा शनिवार को बताई जाती है, पूजा विधि में सरसों के तेल का दिया पीपल देवता की जड़ों में जलने को कहा जाता है। अगर किसी मनुष्य को शनि की ढैय्या,साढ़ेसाती और महादशा है तो उसका इस विधि से प्रभाव काफी काम हो जाता है और उसके कष्ट भी काट जाते है।हिन्दू धर्म में पीपल को देवता का स्थान प्राप्त है इसमें बहुत सारे देवता भी निवास करते हैं, और इसको ब्राह्मण भी कहा जाता है इसीलिए पीपल काटने को ब्रह्म हत्या भी माना जाता है।
लेकिन आख़िर पीपल के नीचे दिया जलाने से कैसे शनि देव प्रसन्न होते हैं ? पौराणिक कथाएं इस बारे में हमें जानकारी देती है तो आइये पढ़ें ये कथाएँ।
पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि पिप्लाद के माता-पिता की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी। बड़े होने इन्हें पता चला कि शनि की दशा के कारण ही इनके माता-पिता को मृत्यु का सामना करना पड़ा। इससे क्रोधित होकर पिप्लाद ने ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर घोर तप किया। इससे प्रसन्न होकर जब ब्रह्माजी ने उनसे वर मांगने को कहा, तो पिप्लाद ने ब्रह्मदंड मांगा और पीपल के पेड़ में बैठे शनिदेव पर ब्रह्मदंड से प्रहार किया। इससे शनि के पैर टूट गए।
शनिदेव दुखी होकर भगवान शिव को पुकारने लगे। भगवान शिव ने आकर पिप्पलाद का क्रोध शांत किया और शनि की रक्षा की। तभी से शनि पिप्पलाद से भय खाने लगे। पिप्लाद का जन्म पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ था और पीपल के पत्तों को खाकर इन्होंने तप किया था इसलिए माना जाता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि का अशुभ प्रभाव दूर होता है।
Shani Dev and Peepal Tree दूसरी कथा : एक बार श्री अगस्त्य ऋषि दक्षिण दिशा में अपने शिष्यों के साथ गोमती नदी के तट पर गए और सत्रयाग की दीक्षा लेकर एक वर्ष तक यज्ञ करते रहे। उस समय स्वर्ग पर राक्षसों का राज था। कैटभ नाम के राक्षस ने पीपल का रूप लेकर यज्ञ में ब्राह्मणों को परेशान करना शुरू कर दिया और ब्राह्मणों को मारकर खा जाते थे। जैसे ही कोई ब्राह्मण पीपल के पेड़ की टहनियां या पत्ते तोड़ने जाता है तो राक्षस उनको खा जाते।
दिनभर अपनी संख्या कम होते देख ऋषि मुनि मदद के लिए शनि के पास गए। इसके बाद शनि ब्राह्मण का रूप लेकर पीपल के पेड़ के पास गए। वहीं पेड़ बना राक्षस शनि का साधारण ब्राह्मण सझकर खा गया। इसके बाद भगवान शनि ने उसका पेट फाड़कर बाहर निकले और उसका अंत किया। राक्षस का अंत होने से प्रसन्न ऋषि मुनियों ने शनि को बहुत आशीर्वाद दिया।
शनि देव ने प्रसन्न होकर कहा कि शनिवार के दिन जो भी पीपल के पेड़ को स्पर्श करेगा, उसके सभी कार्य पूरे होंगे। वहीं जो भी व्यक्ति इस पेड़ के पास स्नान, ध्यान, हवन और पूजा करेगा, उसे मेरी पीड़ा कभी भी झेलनी नहीं पड़ेगी।
इसीलिए अगर आप पर शनि की कोई भी दशा चल रही है तो आप पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीया जलाएं आपके कष्ट शनि महाराज और पीपल देवता जरूर हर लेंगे।
विज्ञान के अनुसार भी पीपल सब से उत्तम वृक्ष है वैज्ञानिकों के अनुसार पीपल का पेड़ 24 घंटों में सदा ही आक्सीजन छोड़ता है। यही वजह है कि पीपल को हमारे हिन्दू पूर्वज पूज्य मानकर सदियों से उसकी पूजा करते आ रहे हैं।