स्वामी विवेकानंद और दो विदेशी औरतें
एक बार स्वामी विवेकानंद जी ट्रेन में सफर कर रहे थे।
स्वामी जी के सामने वाली सीट पर दो विदेशी औरतें बैठी थी जो स्वामी जी के कपड़ों को देखकर उनका मजाक उड़ा रही थीं।
कुछ देर मजाक उड़ाने के बाद उनकी नजर स्वामी जी की घड़ी पर गई जो उन्होंने अपने हाथ पर बांध रखी थी।
दोनों औरतों ने उस घड़ी को लूटने की सोची। वह दोनों स्वामी जी के पास गईं और बोलीं : चुपचाप यह घड़ी हमें दे दो वरना हम पुलिस
को बुलाएंगे और कहेंगे कि तुम हमारे साथ बद्तमीजी कर रहे हो।
इस पर स्वामी जी ने बहरे होने का बहाना किया। उन्होंने ऐसा व्यवहार किया जैसे उन्हें कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा हो। दोनों औरतों ने इशारे से अपनी बात कहने की कोशिश की लेकिन स्वामी जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। फिर स्वामी जी ने विनम्रतापूर्वक इशारे से कहा की उन्हे जो कुछ भी कहना है लिख कर दें।
इस पर उनमें से एक औरत ने सब कुछ लिख कर स्वामी जी को दे दिया।
अब स्वामी जी ने बहुत ही विनम्रता से कहा : “अब आप पुलिस को बुलाइए।”
(अब वो औरतें पुलिस को नहीं बुला सकती थी क्योंकि उन्होंने लिखित में अपना जुर्म स्वामी जी को दे दिया था)