महात्मा बुद्ध कथा : झरने का पानी

Mahatma Budh Motivational Hindi Story – झरने का पानी

Mahatma Budh Hindi Story
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महात्मा बुद्ध एक बार अपने शिष्य आनंद के साथ कहीं जा रहे थे। वन में उन्हें प्यास लगी। आनंद पास स्थित पहाड़ी झरने पर पानी लेने गया लेकिन गंदा पानी देख आनंद पानी बिना लिए लौट आया। उसने बुद्ध से कहा कि झरने का पानी निर्मल नहीं है। मैं पीछे लौटकर नदी से पानी ले आता हूं। लेकिन नदी बहुत दूर थी तो बुद्ध ने उसे झरने का पानी ही लाने को वापस लौटा दिया।

आनंद थोड़ी देर में फिर खाली लौट आया। पानी अब भी गंदा था पर बुद्ध ने उसे इस बार भी वापस लौटा दिया। कुछ देर बार जब तीसरी बार आनंद झरने पर पहुंचा तो देखकर चकित हो गया। झरना अब बिलकुल निर्मल और शांत हो गया था। कीचड़ बैठ गया था और जल बिलकुल निर्मल हो गया था।

महात्मा बुद्ध ने उसे समझाया कि जीवन की दौड़-भाग मन को भी विक्षुब्ध कर देती है, मथ देती है पर कोई यदि शांति और धीरज से बैठा देखता रहे, तो कीचड़ अपने आप नीचे बैठ जाता है और सहज निर्मलता का आगमन हो जाता है। 

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