भारतीय साहित्य के गौरव : रवींद्रनाथ टैगोर
अद्भुत प्रतिभा के धनी रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन | रवींद्रनाथ टैगोर की जीवनी (Rabindranath Tagore Biography)
एक काम में कीर्ति प्राप्त करना बहुत बड़ी बात है, लेकिन एक साथ कई कामों में महारत हासिल करने के कारण प्रसिद्धि महान लोगों की होती है। ऐसे ही व्यक्तित्व थे रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें समाज सुधारक, महान शिक्षक, परोपकारी, चित्रकार, संगीतकार, निबंधकार, उपन्यासकार, नाटककार, कवि और कहानीकार होने का गौरव प्राप्त है। जो स्थान रोम के वर्जिल, इटली के दांते, ग्रीस के होमर और रूस के टॉल्स्टॉय को आवंटित किया गया था, वही स्थान भारत के रवींद्रनाथ टैगोर ने जीता था।
रबिन्द्रनाथ टैगोर की जन्म और शिक्षा ( Rabindranath Tagore Birth and Education )
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रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को पिता दविंदर नाथ टैगोर और माता शारदा देवी के घर जोरासांको हवेली कोलकाता में हुआ था। उनका पहला नाम रवींद्रनाथ ठाकुर और बाद में रवींद्रनाथ टैगोर था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा होम ट्यूटर से प्राप्त की और बाद में प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स स्कूल, कलकत्ता से शिक्षा प्राप्त की। टैगोर ने लंदन के विश्व विद्यालय कॉलेज से कानून की पढ़ाई की उसके बाद उनका विवाह 1883 में मृणालिनी से हुआ।
रवींद्रनाथ टैगोर के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर की साहित्यिक रुचि थी। इसी कारण टैगोर को साहित्य का प्रभाव उनके परिवार से मिला। एक धनी परिवार में जन्मे टैगोर एक खुले और साहित्यिक वातावरण के संपर्क में थे। वे खुले विचारों के थे और घर में हमेशा प्रार्थना और भजन होने के कारण वे धार्मिक भावनाओं से भी प्रभावित थे।
रवीन्द्रनाथ टैगोर बचपन से ही तेज बुद्धि के थे। उन्होंने अपनी पहली कविता आठ साल की उम्र में लिखी थी। 16 साल की उम्र में उन्होंने लघु कथाएँ लिखना शुरू कर दिया था जो उस समय पूरी दुनिया में पढ़ी जाती थीं। उन्होंने अपनी अलग और नई सोच के कारण ही प्रसिद्धि पाई। उन्होंने ‘बंगा दर्शन’, ‘भारती और साधना’ पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार (Rabindranath Tagore Nobel Prize)
1913 में, उनके महाकाव्य कविता संग्रह ‘गीतांजलि’ को नोबेल पुरस्कार मिला। नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद टैगोर की ख्याति पूरी दुनिया में फैल गई। वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे। 1914 में उन्हें ‘सर‘ की उपाधि दी गई, जिसे उन्होंने 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में लौटा दिया।
रवींद्रनाथ टैगोर भारत के राष्ट्रीय गीत ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश के राष्ट्रीय गीत आमार शोनार बाङ्ला के संगीतकार हैं। उनकी लोकप्रिय कहानी ‘काबुलीवाला‘ पर एक फिल्म भी बनी थी जिसमें बलराज साहनी ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
रवींद्रनाथ टैगोर के साहित्य रचनाएँ | Literary Works of Rabindranath Tagore
टैगोर की किताबों की सूची काफी लंबी है। उन्होंने 40 नाटक, 35 कविता संग्रह, 50 निबंध संग्रह, 11 कहानी संग्रह, उपन्यास और लगभग 3000 गीतों की रचना की। उन्होंने बंगाली साहित्य में हर विषय पर हाथ आजमाया। उनकी कई रचनाओं का दुनिया की कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
रवींद्रनाथ टैगोर ने अनगिनत पेंटिंग बनाई और पेंटिंग की कला में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। संगीत के क्षेत्र में उनकी रचनाओं को ‘रवींद्र संगीत’ के नाम से जाना जाता है। टैगोर का मानना था कि मातृभाषा में दी जाने वाली शिक्षा प्रभावी होती है। उन्होंने प्रसिद्ध नाटककार बलवंत गार्गी, फिल्म अभिनेता बलराज साहनी और देविंदर सत्यार्थी को अपनी मातृभाषा में काम लिखने के लिए प्रेरित किया।
शांतिनिकेतन की स्थापना ( Rabindranath Tagore shanti niketan)
1901 में, उन्होंने शांति निकेतन नामक एक स्कूल की स्थापना की और 1921 में इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया। 1961 में, देश के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शांति निकेतन में रवीन्द्र संग्रहालय का उद्घाटन किया। इसमें टैगोर की हस्तलिखित पांडुलिपियां, पत्र, चित्र और उनके द्वारा प्राप्त सम्मान शामिल हैं जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
टैगोर ने गांधी को महात्मा और गांधी जी ने टैगोर को ‘गुरुदेव’ कहा। उनमें वैचारिक मतभेद थे। इसके बावजूद दोनों एक-दूसरे का पूरा सम्मान करते थे। टैगोर ने सक्रिय राजनीति में भाग नहीं लिया।
रवींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु (Rabindranath Tagore Death)
डॉ। रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने जीवन के अंतिम चार वर्ष बहुत बीमार बिताए और 1937 तक अपनी याददाश्त खो चुके थे। 7 अगस्त 1941 को 80 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। शिक्षा, संगीत और साहित्य के क्षेत्र में उनका नाम सदैव अमर रहेगा।
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