Shiv Chalisa Benefits: हर सोमवार जरूर करें शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का पाठ, भोलेनाथ की कृपा से दूर होंगे सभी कष्ट
Shiv Chalisa Path Benefits: भगवान शिव (Lord Shiva) को सृष्टि का संहारक माना जाता है. भगवान शिव का आशीर्वाद पाना और उन्हें खुश करना ही भक्तों का उद्देश्य होता है.
Shiv Chalisa Path Benefits: भगवान शिव (Lord Shiva) बहुत ही दयालु हैं . भगवान शिव का आशीर्वाद पाना और उन्हें प्रसन्न करना ज़्यादा मुश्किल नहीं है .शास्त्रों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा का उल्लेख किया गया है. शिव पुराण (Shiv Puran) से शिव चालीसा (Shiv Chalisa) को लिया गया है. भक्त भगवन शिव को खुश करने के लिए शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का पाठ करते हैं.
जो भी मनुष्य शिव चालीसा का पाठ (Shiv Chalisa Path) करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इतना ही नहीं, जीवन में सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. लेकिन शिव चालीसा (Shiv Chalisa) के कुछ विशेष नियम है. आइए जानते हैं.
Shiv Chalisa Benefits in Hindi: ऐसा माना जाता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। अगर सोमवार को पूजा में शिव चालीसा का पाठ (Shiv Chalisa Path) किया जाए तो जीवन में सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. शिव चालीसा का पाठ (Shiv Chalisa Path) से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
भगवान शिव (Lord Shiva) को महा काल, महादेव, भोलेनाथ, भगवान शंकर( Bhagwan Shankar) और कई अन्य के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म में, सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवता या देवी को समर्पित होते हैं। उन्हीं दिनों में से एक है सोमवार, सोमवार का दिन भगवान शिव (Lord Shiva ki Puja) की पूजा के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है।
Shiv Chalisa Benefits: शिव चालीसा का पाठ
शिव चालीसा का पाठ करने की विधि : How to Read Shiv Chalisa
Shiv Chalisa ke Path ki vidhi : शिव चालीसा का पाठ करने के लिए सुबह उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
– इसके बाद अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर करके किसी साफ आसन पर बैठ जाएं।
पूजा में धूप, दीपक, सफेद चंदन, माला और सफेद फूल भी रखने चाहिए। साथ ही भगवान शिव को भोग लाने के लिए मिठाई का प्रसाद भी रखें।
– शिव चालीसा का पाठ (Shiv Chalisa Path) शुरू करने से पहले भगवान शिव के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं और शुद्ध जल से भरा जग रखें.
– शिव चालीसा का 3 बार पाठ करें, थोड़ा–थोड़ा शिव चालीसा का पाठ करें ताकि घर के अन्य लोग भी इसे सुन सकें।
– शिव चालीसा का पाठ (Shiv Chalisa Path) पूरा करने के बाद कलश के जल को पूरे घर में छिड़कें और थोड़ा पानी खुद पिएं.
फिर भगवान शिव को मिश्री प्रसाद चढ़ाएं और इस प्रसाद को बच्चों में भी बांटें।
Shiv Chalisa: श्री शिव चालीसा
सोमवार के दिन भगवान शंकर (Bhagwan Shankar) का दिन माना गया है, इसलिए सोमवार के दिन इसका पाठ करना विशेष फलदायी होता है. शिव चालीसा का पाठ (Shiv Chalisa Path) नित्य करने से दुःख कष्ट मिटते हैं।
||दोहा||
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात–पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
|| दोहा ||
बहन करौ तुम शीलवश, निज जनकौ सब भार।
गनौ न अघ, अघ–जाति कछु, सब विधि करो सँभार
तुम्हरो शील स्वभाव लखि, जो न शरण तव होय।
तेहि सम कुटिल कुबुद्धि जन, नहिं कुभाग्य जन कोय
दीन–हीन अति मलिन मति, मैं अघ–ओघ अपार।
कृपा–अनल प्रगटौ तुरत, करो पाप सब छार॥
कृपा सुधा बरसाय पुनि, शीतल करो पवित्र।
राखो पदकमलनि सदा, हे कुपात्र के मित्र॥
।। इति श्री शिव चालीसा समाप्त ।।